वो रोज़ अपनी बेटी को छुट्टी के समय स्कूल से लेने आते और उसी कच्चे रास्ते से, मेरे आगे पीछे ही वापस जाते।
इसी बीच वो मेरे से अपनी बेटी के बारे में बात भी कर लेते और कभी कभी मेरी सुंदरता की तारीफ़ भी कर देते। जब वो मेरी तारीफ़ करते तो मुझे अच्छा लगता और मैं हल्के से मुस्कुरा भी देती जिसको शायद उन्होंने कई बार भाँप भी लिया था। बबलु पेशे से किसान था और क़द काठी में मज़बूत, लम्बा क़द, सिर गंजा, बहुत साँवले और इकहैरे बदन का आदमी था बबलु! उनकी
बोली थोड़ी अक्खड़ थी, मे एक आकर्षक जिस्म वाली औरत हूँ जिसका कुछ समय पहले तलाक़ हो चुका है। हाइट लम्बी होने के कारण, आप मुझे ना पतली कहेंगे और ना मोटी पर एक सामान्य औरत जो देखने में आपका मन लुभा ले। मैं जिस्म से बहुत गरम हूँ और पति से अलग होने के बाद से किसी मर्द का केला को ना मिलने के कारण बहुत भूखी भी हु। मैंने कुछ समय से महसूस किया था कि एक अच्छे, गठीले मर्द को देख कर मेरी बिल्ली एकाएक पानी छोड़ने लगी थी। एक दिन चारु
स्कूल नहीं आई पर शाम को बबलु रोज़ की तरह स्कूल के बाहर खड़े थे। मैं अपने रास्ते चलने लगी और वो मेरे पीछे पीछे उसी कच्चे रास्ते पे थे। कुछ दूर जाकर मैंने उनसे चारु के बारे में पूछा तो वो बोले की चारु अपनी माँ के साथ अपनी नानी के गई है। उन्होंने यह भी बताया की उनकी पत्नी पेट से है और वो अब डिलिवरी के बाद वापस आएगी। सर्दी के दिन थे तो अँधेरा हो चुका था। वो चलते हुए मेरी तारीफ़ कर रहे थे और मुझे कुछ
अलग महसूस हो रहा था। मुझे ठोकर लगी और मेरे हाथ से एक फ़ाइल ज़मीन पे गिर गई। मैं उसको उठाने के लिए नीचे बैठी तो मैंने देखा कि बबलु मुझे घूर रहा था। मेरी नज़र बबलु की धोती पे पड़ी तो उसके खड़े केले को मैं भाँप गई। मैंने पूछा- आप ऐसे क्या देख रहे हैं? तो बबलु बोला- आप बहुत सुंदर हो मैडम जी और मैं आपको चाहने लगा हूँ। इस दौरान मैं काग़ज़ उठा रही थी और मेरी पीठ उनकी तरफ़ थी।
इससे पहले मैं कुछ कहती या करती, बबलु ने मेरा पिछवाड़ा हाथो में भर के ज़ोर से दबा दिये और साथ ही मेरी बिल्ली से पिछवाड़े तक अपनी उँगलियाँ दौड़ा दी। इससे मेरे रोंगटे खड़े हो गए और बिल्ली में हलचल मच गई। मैंने पलट कर बबलु को घूर के देखा और डाँटना शुरू ही किया था कि उसने मुझे आँख मारी और एक पप्पी हवा में उछाल दी।
उस समय उस कच्चे रास्ते पे दूर दूर तक कोई नहीं था और खेतों में लम्बी लम्बी गन्ने की फ़सल थी। माहौल का फ़ायदा उठाते हुए बबलु ने मेरे संतरो पे हाथ रख, मुझे अपनी आग़ोश में ले लिया। मैं झटपटाई और ख़ुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी कि उन्होंने मेरे होंठों पे अपने होंठ रख दिए। मैंने उसको धकेलने की कोशिश की पर उसकी ताक़त के आगे मेरे प्रयास बेकार थे और वो मुझे अपनी गोद में उठा के खेतों के बीच ले गया। वहाँ से दूर दूर तक ना कोई इंसान था ना इंसान की जात और मैं समझ गई थी कि आज हर
हाल में मेरी पेलाई होकर ही रहेगी। क्यूँकि मेरी बिल्ली भी पानी छोड़ रही थी और मैं बहुत समय प्यासी भी थी, मैंने मन बना लिया था कि इस मौक़े का पूरा फ़ायदा उठाऊँ। अब तक हम खेतों के बीच पहुँच गए थे और बबलु ने मुझे ज़मीन पे पटक के मुझे ज़ोरदार दो थप्पड़ लगा दिए। मैं होश में आती, उससे पहले उसने मेरी साड़ी मेरे बदन से अलग कर उसको ज़मीन पे बिछा मुझे उसके लेटने को मज़बूर कर दिया। मैं उसके थप्पड़ों से घबराई, जैसे उसने कहा वैसे करने लगी। बबलु ने बड़ी बेरहमी से
मेरे कपड़े मेरे शरीर से अलग किए और अपनी धोती कुर्ता उतार साइड में फेंक दिया, उसके आठ इंच लम्बे और ढाई इंच मोटे काले केले को देख कर मुझे कंपकँपी छूट रही थी और रोमांच भी हो रहा था कि मेरी पेलाई एक असली मर्द से होने वाली है। बबलु ने मेरे संतरो से खेलना शुरू कर दिया पर उसका खेलना मुझे दर्द दे रहा था क्यूँकि वो मेरे निप्पलों को बेदर्दी से मसल रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे वो बहुत लम्बे समय से बिल्ली ढूँढ रहा था और अब उसको हाथ आई तो वो सारी कसर पूरी करना चाहता था। मैं यह सोचकर उसका
साथ नहीं दे रही थी कि अगर इस बारे में किसी को पता चला तो मेरी इज़्ज़त ख़राब होगी और वैसे भी मैं वहाँ अकेली रहती थी तो मेरे लिए सावधान रहना बहुत ज़रूरी था। पर अब मैं दिखावटी ना को भूल अपनी वासना को पूरा करना चाहती थी। तो मैंने सब लाज हया त्याग के बबलु का साथ देना शुरू कर दिया। वैसे भी मैं बहुत लम्बे समय से प्यासी थी और मुझे इससे अच्छा मौक़ा और केला शायद नहीं मिलता। बबलु ने मेरे पूरे शरीर को अपने चुम्मों से ढक दिया और वो बीच बीच मुझे काट भी रहा था। जहाँ उसका एक हाथ मेरे शरीर पे ऊपर से नीचे तक मेरा मर्दन कर
रहा था, वहीं उसका दूसरा हाथ मेरी बिल्ली में ऊँगली कर मुझे चरम पे ले जा रहा था। उसका जंगली रवैय्या भी मुझे सुख दे रहा था। बबलु ने मेरी बिल्ली को चाटने के लिए जैसे ही अपना मुँह मेरी बिल्ली पे रखा, मैं एक झरने की तरह बहने लगी और मैंने बबलु का पूरा मुँह अपने रस से भर दिया। बबलु के होंठों से जहाँ मेरा रस बह रहा था, वहीं जितना सम्भव था, बबलु ने मेरे रसों को अपने गले से नीचे उतार लिया। उसकी आँखों में नशा साफ़ नज़र आ रहा था और
अब वो अपने केला को मुझे चुसाना चाहता था। मुझे उसके केला से एक अजीब महक आ रही थी और वो बहुत साफ़ भी नहीं था पर मेरे मना करने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा और उसने मेरे बालों को पकड़, अपना केला मेरे मुँह में ठूँस दिया। उसको चूसने में मुझे धीरे धीरे मज़ा आने लगा पर वो इतना मोटा था कि उसको मुँह में लेने में मेरे मसूड़े दर्द करने लगे थे। थोड़ी ही देर में बबलु के केला ने अपना बहुत सारा पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया। उसके झड़ते केला ने मेरे मुँह के अलावा मेरे पूरे चेहरे, बाल, मेरे चूचों
और पेट को भी चिपचिपा कर दिया था। इतना पानी झाड़ने के बाद भी बबलु का केला जैसे का तैसा खड़ा था। अब बबलु ने ख़ुद को मेरे ऊपर लिया और अपने केला को मेरी बिल्ली पे टेक दिया। मैं आँखें बन्द किए इंतज़ार कर रही थी कि कब ये धक्का लगाए और मुझे जन्नत की सैर कराए और वो अपने केला को मेरी बिल्ली से हल्के से छुआ के जैसे इंतज़ार कर रहा था। मैंने आँखें खोल के उसका देखा और उसने एक
ज़ोरदार प्रहार के साथ अपने मूसल को मेरी संकरी बिल्ली में पेल दिया। इस अचानक हुए हमले से मेरे मुँह से चीख़ निकली जिसको सुनने वाला वहाँ दूर दूर तक कोई नहीं था।मेरी आँखों से आँसू निकल गए थे पर जो सुख मुझे बबलु दे रहा था, उसका इंतज़ार मैं जाने कितने सालों से कर रही थी। बबलु एक साढ की तरह मेरे ऊपर चढ़ाई कर रहा था और मैं भी अब उसकी हर ठप का आनन्द ले रही थी। मैं बबलु के चेहरे को चाट रही थी और उसके पसीने के नमकीन स्वाद का आनन्द ले रही थी। बबलु की
ताबड़तोड़ पेलाई से मैं दो बार झड़ चुकी थी कि बबलु ने मेरे कंधे पे अपने दाँत गाड़ मुझे बहुत ज़ोर से काठते हुए एक चिंघाड़ के साथ मेरे अंदर ही अपना पानी छोड़ दिया और मेरे ऊपर ढेर हो गया। झड़ने के बाद भी बबलु मेरी बिल्ली में हल्के धक्के लगा रहा था और उसके केला से गिरती हर बूँद मैं महसूस कर सकती थी। मैंने बबलु को बोला- बहुत देर हो गई है, अब मुझे अपने कमरे के लिए चलना चाहिए। पर उसका मन
कुछ और था। बहुत अंधेरा हो चुका था पर उसको किसी बात की कोई परवाह नहीं थी। उसको जो चाहिए था वो उसके नीचे था – मैं और मेरी बिल्ली। मैंने उठने की कोशिश की तो उसने मुझे एक और थप्पड़ लगा दिया और बोला- आज रात भर तेरी पेलाई होनी है। फिर चाहे यहाँ खेतों में या मेरे घर या तेरे कमरे पे, पर पेलाई पूरी रात करूँगा और तब तक करूँगा जब तक तू यहाँ है। मैंने बबलु को बोला कि वो जब चाहे मुझे और मेरी बिल्ली को भोग सकता है पर उसका प्यार जताने का तरीक़ा कुछ अलग था,
वो थोड़ा जंगली था और उसने बड़े अल्हड़ तरीक़े से मेरे गाल खींचते हुए कहा- अब तू मेरी रांड है और मैं जब चाहूँगा, जो चाहूँगा, वो करूँगा। मुझे तुझसे पूछने की ज़रूरत नहीं है साली! बबलु का केला फिर खड़ा हो चुका था और उसने एक बार फिर उसको मेरी बिल्ली में पेल दिया। उस रात बबलु में वहाँ खेत में मेरी तीन बार पेलाई की और जब सुबह होने को आई तो उसने मुझे उठा कर अपने कमरे पे जाने को बोला। मेरी बिल्ली और पेट में बहुत दर्द हो रहा था
और मुझे चलने में भी दर्द हो रहा था, मैंने जैसे तैसे अपने कमरे तक का रास्ता पूरा किया और अपने बिस्तर पे जाकर सो गई। मैं उसके बाद वहाँ क़रीब एक साल और रुकी और बबलु ने मेरी लगभग रोज़ ही बेदर्द पेलाई की।


